आतंक का कोई धर्म नहीं होता ?पर ऐसा क्यों 👇
आतंक का कोई धर्म नहीं होता क्युकि आतंकवाद का उद्देश्य आम तौर पर अपने राजनीतिक या सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए डर और हिंसा फैलाना होता है। आतंकवाद के पीछे किसी विशिष्ट धर्म की प्रेरणा नहीं होती। हन ये भी सत्य है की जयदा तर आतंकवाद मुश्लिम होते है पैर इनके आतंकवादी बनने के पीछे का जो सत्य है वो कुछ और हैं। इन्हें बच्पन से ही ऐसा बनाया जाता की इन्हें अपने धर्म को छोर कर बाकि सारे धर्म के लोग को देख घृणा हो।
क्या कहूँ इस देश के बारे मैं?
लोग कहने को तो भी भाई है।
जब बात आये धर्म की तो होजाते है अलग।जब बात आये अपने धर्म की तो होजाते हैं आगे।
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क्या कहूँ इस देश के बारे मैं?
आगे बढ़ने के लिये भूल गए है ये इंसानियत।
खुद को आगे रखने के ओर मैं कर रहे है अपने ईमान को पिछे।
जितने के चक्र मैं हार चुके है अपने ही नज़रो मैं।
ये बात तो सही है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। हन जो भी होरहा वो देखने का अपना अपना नजरिया होता पर आप मुझे ये बताओ जैसे आप इस दुनिया को देख रहे क्या वही बस सही नज़रिया है दुनिया को देखने का?
पाकिस्तान के मुस्लिम आतंकवाद को बहुत ही ज्यादा सपोर्ट करते पर इसका ये मतलब नही की सारे मुसलमान ही गलत होगये। वहाँ उनके दिमाग में बचपन से ही ये घोला जा रहा कि काफिरो को मारो वो उनके दुश्मन हैं।
Virat Kohli's Test Retirement Give Shock To Entire Nation
मुसीबत के वक़्त सभी को एक साथ होना चाहिए वरना हर जंग हम हार जाएंगे।
राधे राधे🙏
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